Pcos माहिलाओ की अंडाशय से जुडी एक हार्मोनल बीमारी है, जो एक 14 साल की एक यंग लड़की से लेकर 45 वर्ष तक की किसी भी उम्र की महिला को pcos हो सकती है, pcos में फीमेल्स की दोनों अंडाशय में छोटे-छोटे मोतियों जैसे गांठ ( शिष्ट ) बन जाती है, जिसके कारण उनके पीरियड और प्रेंगेसी पर काफी ज्यादा प्रभाव पड़ता है ।
महिलाओं में पुरुषो में पाए जाने वाली एण्ड्रोजन होर्मोन विकसित हो जाता है, जिसकी वजह से महिलाओं को कई तरह की हेल्थ समस्याएं होना शुरू हो जाता है, पीरियड का रेगुलर नहीं नहीं आना, चेहरे पर मुहासे होना, दाढ़ी पर बाल आना या शरीर के ऐसे हिस्से पर बाल आना जहा नहीं आना चाहिए, आवाज भारी होना, वजन बढ़ना या कम होना, बाल झड़ना, पेट पर चर्बी बढ़ना, इस तरह की कई समस्या महिलाओ को होने लगता है ।
एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार 1990-2000 में pcos के कुछ महिलाओं में केस सामने आया था, और आज स्थित ये बन गई है की हर 10 ओबिस महिला जिनकी bmi 27 से ऊपर है उनमे से 4 को pcos होने की खतरा बढ़ जाता है। ज्यादा तनाव लेना, देर रात तक जागना, मोबाइल गेजेट का ज्यादा यूज़ करना, हाई प्रोसेस जंक फ़ूड का सेवन करना, वर्कआउट नही करना, अपनी सेहत का ठीक से ध्यान नहीं रख पाना ये सभी पीसीओएस होने का प्रमुख कारण है ।
female overy अंडाशय का कार्य
फीमेल्स की दोनों अंडाशय उनके स्वस्थ्य को काफी ज्यादा प्रभावित करती है । पीरियड का आना, प्रेगेंसी होना ये अंडाशय पर निर्भर होता है। एक महिला की शरीर के संचालन से लेकर पूरे होर्मोन को नियंत्रण करने का कार्य अंडाशय करता है, लेकिन ख़राब जीवनशैली, ख़राब खानपान, ज्यादा तनाव लेने की वजह से, होर्मोन इनबैलेंस हो जाता है ।
अंडाशय के पास चर्बी जमा होने लगता है, एक तरह से कहे तो अंडाशय पर भार बढ़ने लगता है । ओवेरी अंडे रिलीज नहीं कर पाता है, एण्ड्रोजन होर्मोन विकसित हो जाता है । अंडाशय सामान्य से अधिक एण्ड्रोजन उत्पादन करता है । यही से pcos होने की शुरुआत की कहानी शुरू हो जाता है ।
Pcos क्या है
POLYCYSTIC OVARY SYNDROME – , poly यानि कई cyst यानि गांठ सिंड्रोम मतलब लक्षणों का समूह जिसे सरल शब्दों में pcos कहा जाता है, pcos होर्मोन बिगड़ जाने की वजह से होने वाली एक बीमारी है, होर्मोन इन बैलेंस होने की वजह से अंडाशय में छोट – छोटे मोतियों जैसे cyst गांठ हो जाती है, तरल पदार्थ से भरी थैलिय विकसित हो जाती है अंडाशय से अंडे रिलीज नही होता ।
अंडाशय में अंडा नही बन पाता है, जिसके कारण पीरियड सही समय पर नहीं आता, कभी 3 महीने का गेप हो जाता है तो कभी 6 महीने तक तो कभी साल भर तक पीरियड नहीं आता, या पीरियड का आना बंद हो जाता है।
पुरुषों में पाए जाने वाले एण्ड्रोजन होर्मोंन विकसित हो जाता है, जिसके कारण पुरुषों वाली लक्षण महिलों में दिखने लगता है, जैसे दाढ़ी पर बाल आना शुरू हो जाता है या फिर शरीर के ऐसे हिस्सों पर बाल का आना जहाँ पर नहीं आना चाहिए ।
पुरुषो की तरह आवाज भारी हो जाता है, इसके साथ ही पीसीओएस में इन्सुलिन का स्तर सामान्य से आधिक मात्रा में बढ़ जाता है, जिससे मधुमेह और हृदय रोग गंभीर बीमारी का खतरा बढ़ जाता है ।
self care pcos खुद से कैसे करे देखभाल pcos का
self care से pcos को कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है, अपनी डेली की रूटीन में बदलाव करके और एक अच्छे आहार व् संतुलित जीवनशैली काफी ज्यादा मदद करता है पीसीओएस को ठीक करने मे । नीचे और भी कुछ tips दिए जा रहा है जो मदद करेगा पीसीओएस को ठीक करने में
जीवनशैली में बदलाव करके : पीसीओएस को अपनी जीवनशैली में बदलाव करके ठीक किया जा सकता है, क्योकि pcos होने का प्रमुख कारणों में से एक है ख़राब जीवनशैली । जीवनशैली को सुधार करके जैसे समय पर सोना समय पर जगाना , पर्याप्त नींद लेना, अच्छी भोजन खाना , तनाव को कम करना , वर्कआउट को अपने जीवन का एक हिस्सा बनाना ।
रोज वर्कआउट करे : आपको अपने हेल्थ के लिए खुद मेहनत करना पड़ेगा, आज से ही योग, प्राणायाम, एक्सरसाइज को अपने जीवन का एक हिस्सा बना लीजिए, एक्सरसाइज से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों में सुधार होते हैं।
वजन कम करना : पीसीओएस को ठीक करने के लिए पहले वजन कम करना होगा, वजन कम करने से जो अंडाशय पर भार है या दुसरे शब्दों में कहे चर्बी जमी है वो कम होगा जिससे अंडाशय सही से कार्य कर पायेगा, एक सही डाइट और एक्सरसाइज से वजन को कम किया जा सकता है , उम्र और वजन के हिसाब से एक संतुलित वजन होना चाहिए ।
एक्सपर्ट्स से सलाह : PCOS के लक्ष्ण दिखाई देने के बाद अपने किसी नजदीकी अंडोक्रिनॉलॉजिस्ट, गाइनाकोलॉजिस्ट या न्यूट्रिशनिस्ट जिम ट्रेनर एक्सपर्ट्स से सलाह लेनी चाहिए इस बारे में चर्चा करनी चाहिए । इसके साथ ही समय समय पर हेल्थ चेकअप करवाना बहुत महत्वपूर्ण है। एक डॉक्टर आपकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री और शारीरिक परीक्षण के आधार पर सही निदान और उपचार प्रदान कर सकता है।
pcos diet
हर किसी की शरीर के प्रकार अलग होती है, मेडिकल हिस्ट्री से लेकर ब्लड ग्रुप सब अलग- अलग होती है, एक ही डाइट सबके लिए उपयोगी हो ये जरुरी नहीं होती, pcos में विशेष करके अपने ब्लड ग्रुप और टेस्ट कराके डाइट लेना चाहिए ।
pcos को ठीक करने के लिए क्या खाना चाहिए
पीसीओएस को ठीक करने के लिए कम केलोरी और हाई न्यूट्रिशन वाले डाइट का सेवन करना चाहिए, मौसमी फल और हरी सब्जियों के साथ मछली अंडे काजू किशमिश बादाम का घी ओलिव आयल जैसे पोषक तत्वों से भरी आहार ले सकते हो, ऐसी डाइट जिसमे प्रोटीन की मात्रा अधिक हो उच्च फाइबर वाले फ़ूड हो, अच्छे फैट की पर्याप्त मात्रा हो pcos पीड़ित किसी भी फिमेल के लिए low food maip diet अच्छा रहता है ।
low food map डाइट क्या होता है
low food maip diet वो फ़ूड होती है जिसमें केलोरी कम होती है, न्यूट्रिशन ज्यादा होती है प्रोटीन, फाइबर की मात्रा आधिक होती है, कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है और सही मात्रा में फैट शामिल होती हैं।
pcos को कण्ट्रोल करने में low food map डाइट काफी मदद करता है, वजन कम करने के साथ ही आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए भी यह मददगार हो सकता है, प्रोटीन फाइबर फैट कार्ब को सही मात्रा में शामिल करना भी जरुरी होता है ।
प्रोटीन कितने ग्राम लेनी चाहिए –
अपने वजन के हिसाब से प्रोटीन को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए, मान लो अगर किसी की वजन 65kg है तो उसे पर kg 1 ग्राम के हिसाब से 65 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए, एक ग्राम प्रोटीन में 4 कैलोरी होता है । प्रोटीन वजन कम करने के साथ इन्सुलिन के स्तर को कम करने में काफी मदद करता है अंडा । चिकन, पनीर, सोया, दालें, मछली, आदि हेल्दी प्रोटीन स्रोत हैं।
फैट कितिनी मात्रा में लेनी चाहिये
लडको के मुकाबले लडकियों ज्यादा फैट ओब्जेर्व करती है । फैट डाइट में 0.5 ग्राम या 0.8 ग्राम तक पर kg के हिसाब से ले सकते है माल लो किसी की वजन 65 है तो 65× 0.5 = 32.5 ग्राम फैट बॉडी की मिलनी चाहिए अखरोट, बादाम, मूंगफली, ऑलिव ऑयल, कोकोनट ऑयल, अवोकाडो, तिल, आदि ।
फल और हरी सब्जियां: pcos को कण्ट्रोल करने के लिए diet में हाई फाइबर युक्त फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए, फल और हरी सब्जियों में जैसे अनार, सेब, संतरा, गाजर, ब्रोकोली, शिमला मिर्च, आदि जैसे फल और सब्जियां फाइबर से भरपूर होते हैं और इंसुलिन स्तर को संतुलित रखने में मदद कर सकते हैं।
पौष्टिक अनाज और दालें: हरे और सफेद अनाज, ओट्समील, ब्राउन राइस, चने, मसूर दाल, आदि पौष्टिक अनाज और दालें फाइबर, प्रोटीन, और विटामिन्स से भरपूर होते हैं।
हाइड्रेशन: पानी, नारियल पानी, हरी चाय, पानी युक्त फल, आदि प्रतिदिन पर्याप्त पानी पिएं ।
Omega -3 ओमेगा 3 फैटी एसिड बहुत जरुरी होती है , ये स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होती है, वजन को कम करने के साथ साथ कई तरह की बीमारियों से बचाने का कार्य करता है ओमेगा-3 । किसी ट्रेनर या डोक्टर से सलाह लेकर एक अच्छी कम्पनी की ओमेगा-3 ले सकती है ।
signs of pcos PCOS के लक्ष्ण
ऐसा कहा जाता है कि pcos पहले से ही शरीर में मौजूद होती है, लेकिन ख़राब आदतों की वजह से शरीर में विकसित हो जाती है, pcos होने पर शुरुआत में कुछ शुरुआत लक्षण दिखाई देना शुरू हो जाता है, जैसे पीरियड सही समय पर नही आना, पीरियड का रेगुलर नहीं आना pcos के प्रमुख लक्षणों में से एक है ।
चेहरे और शरीर पर बाल आ जाना – pcos में महिलाओं में एंड्रोजन वाले होर्मोन विकसित हो जाता है, जिसके कारण फिमेल में पुरुषो वाले फीचर्स दिखने लगता है, दाढ़ी पर बाल आना शुरू हो जाता है, या शारीर के ऐसे हिस्सों पर जहाँ पर बाल नहीं आना चाहिए वह पर बाल का आना शुरू हो जाता है, आवाज में भी भारीपन आ जाता है , पुरुष जैसे आवाज भरी हो जाता है ये पीसीओएस के लक्षण है ।
चेहरे पर मुहासें होना – चेहरे पर मुहासों का होना आम बात है, लेकिन pcos में चेहरे पर आधिक मात्रा में मुहासे होना शुरू हो जाता है ।
वजन का बढ़ना और कम होना pcos में हर महिला में अलग अलग लक्ष्ण देखने को मिलता है, किसी का वजन बढ़ने लगता है तो वही किसी का वजन कम होने लगता है ,एक रिसर्च कहता है की 70 % अधिक वजन वाली महिला को pcos होने की सम्भावना बढ़ जाता है, वही दुबली पतली फिमेल के पेट और कमर में चर्बी आना शुरू हो जाता है ।
belly fait और लव हेंडल – pcos में belly fait बढ़ना शुरू हो जाता है, वही लव हंडल भी आना शुरू हो जाता है, ज्यादातर देखा जाता है महिलाओं में वजन बढ़ने के कारण उनके हिप और thighe में फैट जमा होता है , लेकिन जिनको pcos होता है उनके belly में fait जमा होता है वही हिप कम हो जाता है , और कमर में चर्बी लव हंडल बढ़ जाता है ।
सेक्सुअल प्रॉब्लम – होर्मोन में बदलाव के कारण फीमेल्स में देखा ये देखा जाता है की उसमे सेक्स की इच्छा कम हो जाता है ।
pcos होने के कारण
99% पीसीओएस तनाव लेने और अपनी सेहत का ध्यान नही रखने की वजह से होती है । हाई प्रोसेस जंक फ़ूड खाने की वजह से, पर्याप्त नींद नहीं लेने, वर्कआउट नहीं करने की वजह से pcos होने की खतरा बढ़ जात है । साथ ही साइकोलोजी स्ट्रेस होने की वजह से होती है ।
जेनेटिक मामलो में ऐसे बहुत ही रियर केस मिलेगा जिसे जेनेटिक के कारण पीसीओएस हुआ हो ।